vinod upadhyay

vinod upadhyay

शुक्रवार, 15 मई 2015

मप्र में हर रोज 300 करोड़ का हवाला कारोबार!

आयकर विभाग की जांच में सामने आया तथ्य
हवाला घोटाले में फंसे कारोबारी जाएंगे जेल
भोपाल। देश की नौकरशाही में भ्रष्टतम राज्यों में गिना जाने वाला मप्र अब हवाला कारोबार का केंद्र बनता जा रहा है। हवाला के माध्यम से यहां से रोजाना सैकड़ों करोड़ रूपया बाहर जा रहा है और बाहर से यहां आ रहा है। यह तथ्य आयकर विभाग की जांच में सामने आया है। वर्ष 2004 के बाद से आयकर विभाग और अन्य एजेंसियों की छापामार कार्रवाई में जितने भी मामले सामने आए हैं उनकी जांच में पता चला है कि मप्र में हर रोज औसतन 300 करोड़ का हवाला कारोबार होता है, लेकिन जांच एजेंसियां इसकी जड़ में अब तक नहीं पहुंच सकी हैं। पिछले सालों में सहकारी साख संस्थाओं के माध्यम से करोड़ों-अरबों का हवाला कारोबार आयकर विभाग ने पकड़ा था और अब उसमें फंसे कारोबारियों को जेल भेजने की तैयारी हो रही है। आयकर विभाग ने संबंधित संस्थाओं और दोषियों के खिलाफ अभियोजन की कार्रवाई शुरू कर दी है। लेकिन प्रदेश के नौकरशाहों के यहां मिली संपत्ति के स्रोतों की जांच-पड़ताल चल रही है। अभी हालही में राजधानी सहित प्रदेश के कई शहरों में ज्वैलर्स, विल्डर और उद्योगपतियों के यहां की गई कार्रवाई में आयकर विभाग को ऐसे दस्तावेज मिले हैं जो हवाला करोबार की पोल खोल रहे हैं। आयकर विभाग के सूत्रों का कहना है कि गत वर्ष प्रदेश की व्यावसायिक राजधानी इंदौर में हुए प्रदेश फलते-फूलते हवाला रैकेट के खुलासे के बाद यह तथ्य सामने आया था कि मप्र में रोजाना सैकड़ों करोड़ का हवाला कारोबार होता है। प्रदेश के इंदौर, भोपाल, जबलपुर और ग्वालियर जैसे शहरों में ही नहीं लगभग हर छोटे-बड़े शहर में हवाला कारोबारी हैं। ये कारोबारी चंद मिनटों में करोड़ों रुपए दुबई से दिल्ली और अमेरिका तक ट्रांसफर कर देते हैं। आयकर ने शुरू की अभियोजन की कार्रवाई आयकर विभाग की इन्टेलिजेंस विंग ने इंदौर के कान्हा तथा गुरुशरण सहकारी साख संस्थाओं के ठिकानों पर छापे डाले थे। ये दोनों संस्थाएं भी कागजी निकली, जिनका पंजीयन सिर्फ दो नम्बरी हवाला कारोबार को करने के लिए ही करवाया गया। इंदौर की इन दोनों संस्थाओं के अलावा उज्जैन की श्रीवर्धमान और धार की राजेन्द्र सूरी साख संस्थाओं का घोटाला भी सामने आया और इन चार संस्थाओं के माध्यम से ही 1 हजार करोड़ रुपए से अधिक का अवैध हवाला कारोबार आयकर विभाग ने पकड़ा और इसमें से इंदौर की गुरुशरण और कान्हा साख संस्था के माध्यम से तो 600 करोड़ रुपए से अधिक का कारोबार किया गया, जिसके चलते 110 करोड़ रुपए की बड़ी राशि सरेंडर भी करवाई गई। आयकर नियमों के मुताबिक 50 हजार रुपए से अधिक के लेन-देन पर पेन कार्ड अनिवार्य है, लेकिन इन साख संस्थाओं ने हजार करोड़ रुपए से अधिक का कारोबार बिना पेन कार्ड के ही कर डाला और ना ही आयकर रिटर्न में किसी तरह का ब्योरा दिया गया। इनमें अधिकांश कपड़ा, होजयरी, पटाखा, डेकोरेशन से लेकर अन्य व्यापारी, खासकर होलसेल वाले शामिल रहे। बताया जाता है कि अकेले इंदौर के 350 कपड़ा व्यापारी इस मामले में लिप्त पाए गए हैं। आयकर के इंटेलिजेंस विंग ने इनकी सूची तैयार की है और इनमें से कई व्यापारियों से पिछले दिनों नोटिस जारी कर पूछताछ भी की गई, क्योंकि कई व्यापारियों ने तो दो-ढाई करोड़ रुपए तक के कारोबार इसी तरह किए, वहीं कुछ कारोबारी अच्छे कमीशन के लालच में जुड़े। हवाला कारोबार में 1 लाख रुपए तक की राशि पर 100 रुपए का कमीशन दिया जाता रहा। चूंकि राष्ट्रीयकृत बैंकों में लेन-देन के लिए 50 हजार रुपए की राशि पर ही पेन नंबर मांगा जाता है, मगर इन साख संस्थाओं के माध्यम से लाखों-करोड़ों रुपए का लेन-देन बिना पेन नंबर के ही किया गया, जबकि नियम यह है कि इन साख संस्थाओं को भी 10 लाख या इससे अधिक जमा की गई राशि की जानकारी आयकर विभाग के साथ-साथ शासन को भी देना पड़ती है, लेकिन शासन के फम्र्स एंड सोसायटी विभाग के अलावा सहकारिता विभाग भी इस अवैध कारोबार को रोक नहीं पाया, उल्टा इसमें उसकी भी सांठगांठ सामने आ रही है। आयकर विभाग ने हजारों-करोड़ों रुपए के इस हवाला घोटाले की जांच प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी से भी करवाने का निर्णय लिया है और उसे भी बड़े मामलों की जानकारी सौंपी गई है। अभी तक आयकर विभाग की इन्वेस्टीगेशन विंग ही आयकर चोरी के बड़े मामलों की जांच-पड़ताल सर्वे और छापे के जरिए करती रही, मगर जब इन साख संस्थाओं का बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया तो विभाग ने इन्टेलिजेंस विंग का दायरा भी बढ़ा दिया और उसमें क्रिमिनल इन्वेस्टीगेशन विंग को भी शामिल कर लिया, जिसके चलते अब इन्टेलिजेंस एंड क्रिमिनल इन्वेस्टीगेशन विंग बनाई गई। इंदौर में इस विंग के अफसर गोविंद मोटवानी को पदस्थ किया गया है, जिन्होंने पिछले दिनों इन साख संस्थाओं की गड़बडिय़ां भी पकड़ी थीं। सूत्रों का कहना है कि आयकर विभाग ने जो दस्तावेज इन साख संस्थाओं के ठिकानों पर छापा मारने के दौरान जब्त किए थे, उनकी जांच-पड़ताल के बाद संस्थाओं और इनके कर्ताधर्ताओं तथा कारोबारियों के खिलाफ अभियोजन की कार्रवाई शुरू की गई है। पिछले दिनों विभाग ने अपने दिल्ली मुख्यालय से इसकी अनुमति मांगी थी, जो मिल गई है। लिहाजा इंदौर, उज्जैन, धार की इन संस्थाओं को नोटिस भी जारी किए जा रहे हैं। सहकारिता विभाग के साथ बैंकों की भी सांठगांठ बिना सहकारिता विभाग की सांठगांठ के ये गोरखधंधा चल ही नहीं सकता। हवाला कारोबार में कुछ समय पूर्व पकड़ाई इंदौर की ही एक साख संस्था जयभारत परस्पर की जांच विभाग ने शुरू की और कई तरह की गड़बडिय़ां पाई गई। इस संस्था में 90 करोड़ रुपए से अधिक का सालाना टर्नओवर पाया गया और पिछले साल दिसंबर में सहकारिता विभाग के एक निरीक्षक ने अपना जांच प्रतिवेदन भी अफसरों को सौंपा, जिसमें संंस्थाओं की कारगुजारियां उजागर की गईं, लेकिन विभाग के अफसरों ने इस पूरे मामले को लेन-देन के जरिए दबा दिया। सहकारिता के साथ-साथ कई व्यावसायिक बैंकों की सांठगांठ भी इस हवाला कारोबार में सामने आई है, जिनके लिए आयकर विभाग ने रिजर्व बैंक को भी कार्रवाई करने के लिए पत्र लिखा है। अभी हालही में छत्तीसगढ़ में सहकारी बैंकों के माध्यम से हवाला कारोबार का खुलासा हुआ है। मप्र में इसकी संभावना से कतई इंकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि दोनों राज्यों का सिस्टम एक समान है। लोग आसानी से सहकारी बैंकों में अपने खाते खोल लेते हैं और फिर लेनदेन करने लगते हैं। राष्ट्रीय या मल्टीनेशनल बैंक की तरह सहकारी बैंकों पर जांच पड़ताल नहीं होती और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की नजर भी सहकारी बैंकों पर कम ही रहती है। प्रदेश में 1300 संस्थाएं, अधिकांश बोगस ही प््रदेश में जिस तरह अधिकांश गृह निर्माण संस्थाओं पर भूमाफियाओं ने कब्जा किया और अरबों रुपए के जमीन घोटाले हो चुके हैं, उसी तर्ज पर सहकारी साख संस्थाएं बनाई गई, जिसमें गृह निर्माण संस्थाओं की तरह सहकारिता विभाग की तगड़ी मिलीभगत इन संस्थाओं में भी सामने आई है। मप्र में 1300 सहकारी साख संस्थाएं पंजीकृत रही हैं, मगर इनमें से कई संस्थाओं को साल-दो साल चलाकर बंद कर दिया गया और उनकी जगह नई संस्थाओं के पंजीयन करवा लिए। अकेले इंदौर में ऐसी 300 सहकारी साख संस्थाएं पंजीकृत हैं। दरअसल यह हवाला कारोबार सुनियोजित तरीके से पिछले कुछ वर्षों से चल रहा है, जिसके लिए कागजों पर सहकारी साख संस्थाओं को बनाया जाता है और साल-दो साल में करोड़ों का अवैध कारोबार करने के बाद इन संस्थाओं को समाप्त कर नई संस्था बना ली जाती है। इंदौर की जिन दो संस्थाओं गुरुशरण और कान्हा में 600 करोड़ रुपए से अधिक का हवाला कारोबारी पकड़ाया, उनमें भी यही गोरखधंधा सामने आया। गुरु शरण को बंद करके कान्हा संस्था को शुरू कर दिया। पिछले दिनों आयकर विभाग ने सहकारिता विभाग को पत्र लिखकर ऐसी तमाम साख संस्थाओं की सूची भी मांगी और सहकारिता विभाग ने भी धारा 60 के तहत कई संस्थाओं को नोटिस देकर उनकी जानकारी मांगी गई। यह भी पता चला कि इन संस्थाओं के कर्मचारियों के बचत खातों का भी इस्तेमाल इस हवाला कारोबार में किया गया और करोड़ों रुपए का लेन-देन कर लिया गया। कई संस्थाओं के खिलाफ गड़बडिय़ां मिलने पर भी सहकारिता विभाग ने जांच नहीं की, बल्कि लाखों रुपए की रिश्वत लेकर मामले को रफा-दफा कर दिया। लिहाजा आयकर विभाग ने सहकारिता के साथ-साथ शासन और रिजर्व बैंक को भी पत्र लिखे कि इन साख संस्थाओं के पंजीयन से लेकर संचालन तक की गतिविधियों पर ना सिर्फ नजर रखी जाए बल्कि आयकर विभाग को भी सभी लेन-देन की जानकारी दी जाए। हर रोज अरबों का हवाला कारोबार! यह जानकर आपको आश्चर्य होगा की मप्र में हर रोज अरबों रुपए का हवाला कारोबार होता है। कई सट्टेबाज ऑफ सीजन में यही काम करते हैं। आलम यह है कि दर्जन भर सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों की सतर्कता के दावों के बाद भी हवाला कारोबारियों के कारोबार ने कई छोटे-मोटे बदमाशों को भी सक्रिय कर दिया है। रकम की सुरक्षा के लिए भाड़े पर लिए गए ये बदमाश किसी भी समय लूट को अंजाम देने के लिए तैयार रहते हैं। हवाला के जरिए फर्जी बिल और दूसरे फर्जी कागजात के सहारे काले धन को सफेद करने के कारोबार ने भी तेजी से पांव पसारे हैं। काले धन को सफेद करने के लिए आरटीजीएस सिस्टम को अपनाया जाता है। सूत्रों के मुताबिक शुरुआती जांच में पता चला है कि हवाला ऑपरेटर तीन तरह से ये कारोबार कर रहे हैं। पहला तरीका-नगद पैसे को इधर से उधर करने का है। दूसरा तरीका-कालेधन को सफेद करने का है। इसमें एक्सपोर्टर्स की मदद ली जाती है। बदले में उन्हें हिस्सा दिया जाता है। तीसरा तरीका-एनआरआई लोगों की प्रॉपर्टी के लेनदेन के कालेधन को उन तक विदेश पहुंचाने का है। सूत्रों के मुताबिक पंजाब, चंडीगढ़ और दिल्ली तक पैसे पहुंचाने और लाने के लिए एक नेटवर्क काम कर रहा है। इसमें करीब 50 नौजवान कुरियर का काम कर रहे हैं और दर्जनों गाडिय़ों का इस्तेमाल किया जाता है। सूत्रों के अनुसार भोपाल में ही इस कारोबार के जरिए रोजाना करोड़ों से ऊपर का लेनदेन किया जाता है। इसके बदले में हवाला कारोबारी मोटा मुनाफा भी वसूल रहे हैं। निजी बैंकों की भूमिका पर भी सवाल सहकारी समितियों के जरिए हुए एक हजार करोड़ रुपए के देसी हवाला केस में बैंकों की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। आयकर विभाग ने क्षेत्र में कार्यरत आईसीआईसीआई एवं एक्सिस बैंक की शाखाओं की शिकायत रिजर्व बैंक से की है। आरोप केवायसी के तय मापदण्डों के उल्लंघन का है। महकमे ने इंदौर, उज्जैन एवं धार की सहकारी समितियों पर सितंबर से अक्टूबर 14 के बीच छानबीन के दौरान खुलासा किया था कि समिति के अध्यक्ष-सचिव कमीशन के लालच में व्यापारियों की रकम दूसरे राज्यों और शहरों में भेजते थे। तीनों जिलों में कुल एक हजार करोड़ रुपए को अवैध रूप से विभिन्न खातों और शहरों में घुमाया गया। जिन व्यापारियों का यह पैसा था उन्होंने इसे अपने बही-खातों में उल्लेख भी नहीं किया था। इस तरह कालाधन यहां से वहां भेजा जा रहा था। इस मामले में आयकर इंटेलीजेंस एवं क्रिमिनल इन्वेस्टीगेशन विंग की दिल्ली स्थित महानिदेशक अमिता सैनी एवं सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स(सीबीडीटी) के निर्देश पर मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ के सभी मामलों में प्रासीक्यूशन की कार्रवाई भी शुरू की गई है। उज्जैन की वर्धमान प्राथमिक सहकारी समिति के पदाधिकारियों को विभाग अभियोजन की कार्रवाई के संदर्भ में नोटिस भेज चुका है। अकेले इस समिति के जरिए ही 300 करोड़ के देसी हवाला होने के दस्तावेज विभाग के हाथ लगे हैं। इंदौर एवं धार की समितियों क्रमश: कान्हा, गुरुशरण साख सहकारी संस्था एवं राजेन्द्र सूरी कोऑपरेटिव क्रेडिट सोसायटी पर भी गाज गिराने की तैयारी है। इन सहकारी समितियों के गोरखधंधे एवं सहकारिता अधिनियम के उल्लंघन को लेकर इंटेलीजेंस विंग के डायरेक्टर केसी घुमरिया ने मप्र के रजिस्ट्रार कोऑपरेटिव सोसायटीज को भी देसी हवाला मामले में समितियों पर कार्रवाई संबंधी पत्र भेजा है। इस मुद्दे पर चर्चा के लिए डायरेक्टर घुमरिया और रजिस्ट्रार के बीच बैठक आयोजित करने की तैयारी की गई है। विभाग ने आपत्ति की है कि बैंकों ने मांगने पर उसे 'केवायसीÓ दस्तावेज नहीं दिए। आयकर अफसर समितियों के पदाधिकारियों एवं देसी हवाला में संलग्न व्यापारियों के यहां बरामद दस्तावेज की जांच के साथ उनके बयान ले चुके हैं। विभाग अपनी रिपोर्ट तैयार कर चुका है। देसी हवाला की निगरानी कर रहा विशेष जांच दल विदेशी बैंकों में जमा देश के कालेधन की पड़ताल कर रहे विशेष जांच दल(एसआईटी) ने मध्यप्रदेश के देसी हवाला मामले की निगरानी भी शुरू कर दी है। छानबीन से जुड़ी जानकारियां एसआईटी द्वारा तलब की जाने लगी हैं। आयकर खुद्बिक्तया विंग अपनी छानबीन में उज्जैन, इंदौर एवं धार जिले में करीब एक हजार करोड़ रुपए के देसी हवाला का खुलासा कर चुकी है। देश में अपने तरह का यह पहला ऐसा मामला है जिस पर काले धन की जांच के लिए गठित इस उच्च स्तरीय जांच दल ने दिलचस्पी दिखाई है। सहकारी संस्थाओं की आड़ में चल रहे इस गोरखधंधे को लेकर आयकर इंटेलीजेंस एवं क्रिमनल इन्वेस्टीगेशन विंग की पड़ताल में अनेक चौंकाने वाली जानकारियां सामने आई हैं। मामले की पूरी रिपोर्ट मिलते ही एसआईटी भी इस प्रकरण में एकाएक सक्रिय हो गई है। छानबीन से जुड़ी जानकारियों पर नजर रखी जा रही है। एसआईटी ने देश के अन्य राज्यों में भी इस तरह के मामले तलाशने के निर्देश भेजे हैं। मामले में एसआईटी ने इस मुद्दे पर छानबीन की रिपोर्ट से लगातार अपडेट कराए जाने को कहा है। सहकारी समितियों के माध्यम से दूसरे राज्यों एवं शहरों में अवैध रूप से करोड़ों रुपए भेजे जाने का यह अपने तरह का अनूठा तरीका सामने आया है। जांच से जुड़े खुफिया विंग के अफसरों का मानना है कि प्रदेश के अन्य जिलों में भी संदिग्ध सहकारी समितियों के जरिए हजारों करोड़ रुपए देश के भीतर यहां से वहां भेजने का गोरखधंधा चलाया जा रहा था। कपड़ा एवं अन्य कारोबार से जुड़े व्यापारी अपने कालेधन को नंबर एक में बदलने के लिए समिति से चैक एवं ड्राफ्ट बनवाकर दूसरे राज्यों व शहरों में भेज रहे थे। सहकारी साख संस्थाओं द्वारा समानांतर रूप से बैंकिंग गतिविधियां चलाए जाने पर आयकर महकमे ने आपत्ति जताते हुए संबंधित बैंकों, प्रवर्तन निदेशालय एवं मप्र सरकार को भी पत्र भेजे हैं। इस सनसनीखेज मामले में इंदौर की गुरुशरण सहकारी साख समिति, कान्हा सहकारी समिति, उज्जैन में श्री वर्धमान साख सह समिति एवं धार जिले में राजेन्द्र सूरी सहकारी साख समिति की जांच में अरबों रुपए का संदिग्ध लेनदेन मिला है। इस गोरखधंधे से लाभ उठाने वाले कारोबारियों से पूछताछ का सिलसिला अभी चल रहा है। पर्चियों और मोबाइल पर करोड़ों का कारोबार हवाला करोबार के अलावा कई अन्य तरीके सक सरकार को हर साल अरबों रूपए का चूना लगाया जा रहा है। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) और नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज (एनसीडीईएक्स) के समानांतर फर्जी एक्सचेंज के माध्यम से पर्चियों और मोबाइल पर करोड़ों का कारोबार किया जा रहा है। हालांकि यह मामला सामने आने के बाद फर्जी एक्सचेंज चलाने वाले गिरोह की जांच अब सीबीआई द्वारा की जाएगी। इसके बावजूद प्रदेश में अभी भी धड़ल्ले से सैकड़ों करोड़ रुपए का फर्जी कारोबार रोजाना हो रहा है। इस कारोबार से जुड़े लोगोंं की माने तो पुलिस की कड़ी निगरानी के बावजूद पर्चियों और मोबाइल के सहारे आज भी यह करोड़ों रुपए का कारोबार रोजाना हो रहा है। कारोबारी कहते हैं कि चूंकि इस तरीके के कारोबार में पूरी तरह से नगदी का ही प्रयोग होता है इसलिए अवैध रूप से यह कारोबार निर्बाध गति से जारी है। इस संबंध में बात करने पर द सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) के एक पदाधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा कि पर्चियों और मोबाइल के जरिए एमसीएक्स के इतर अभी भी करोड़ों रुपए का काम व्यापारियों की सहमति से हो रहा है। चूंकि यह सौदे नगद और दो लोगों के बीच होते हैं इसलिए किसी को सौदे विशेष की जानकारी नहीं हो पाती है। उन्होंने कहा कि कंपनी विशेष के इतर छोटे और शहर से लगे क्षेत्रों के व्यापारी इसमें ज्यादा बड़ी भूमिका निभाते हैं। सरकार को इस संबंध में प्रभावी कदम उठाना चाहिए क्योंकि वैधानिक तरीके से कारोबार होगा तो सरकार को भी आयकर, सर्विस टैक्स आदि के रूप में राजस्व मिलेगा। जानकारों के अनुसार वायदा बाजार में प्रति दिन करीब दो लाख टन सोयाबीन और 1.5 लाख टन तेल का कारोबार होता है। सौदे काटने का काम अभी भी वहीं दूसरी ओर एक अन्य व्यापारी का कहना है कि इंदौर में जो फर्जी एक्सचेंज पकड़ाया है वह पहली बार हुआ है, लेकिन स्क्रीन पर भाव देखकर पर्चियों पर सौंदा लिखकर बुकिंग और कुछ समय बाद व्यापारी के हिसाब से सौदे काटने (सौदा पूरा होना) का काम अभी भी हो रहा है। उन्होंने कहा कि चूंकि यह काम साख पर और नगद होता है इसलिए व्यापारी इसको बड़े पैमाने पर करते हैं। जो व्यक्ति बुकिंग करता है वह सौदा कटने के बाद मार्जिन मनी व्यापारी विशेष तक पहुंचा देता है। वहीं मोबाइल पर भी सौदे बुक हो रहे है, इसमें भी पर्ची वाली प्रक्रिया ही अपनायी जाती है। उन्होंने कहा कि इस व्यापार का सही अनुमान लगाना तो कठिन है क्योंकि यह देश भर में हो रहा है लेकिन व्यापारियों के कुल डब्बा कारोबार का 30 फीसदी से भी अधिक पर्ची और मोबाइल पर इस प्रकार के सौदे हो रहे हैं। इस संबंध में वाणिज्यकर विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि चूंकि इसमें फिजिकल सौदा नहीं होता है इसलिए यह हमारी जद में नहीं आता है। हम निगरानी अवश्य कर रहे हैं। निवेशकों को फर्जी वायदा कारोबारियों से सावधान रहना होगा। कमोडिटी सहित अन्य वायदा कारोबार में ट्रेडिंग करना चाहते हैं तो देश के नेशनल एक्सचेंजों में लिस्टेड सब ब्रोकरों के माध्यम से ही वायदा कारोबार करें। देश में एमसीएक्स व एनसीडीईएक्स दो बड़े वायदा एक्सचेंज है। इसके साथ ही वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) के माध्यम से भी अधिकृत सब ब्रोकरों की जानकारी प्राप्त की जा सकती है। देश में वायदा कारोबार को रेग्युलेट करने का काम एफएमसी ही करती है। यदि ब्रोकर को लेकर निवेशक के मन में किसी भी प्रकार की शंका है या उसे यह लग रहा है कि कहीं ब्रोकर फर्जी तो नहीं इस स्थिति में तुरंत पुलिस में या एफएमसी को शिकायत करें। 1000 करोड़ से अधिक का घोटाला इंदौर के डिब्बा कारोबारी अमित सांवेर द्वारा संचालित फर्जी कमोडिटी एक्सचेंज की सीबीआई द्वारा प्रारंभिक जांच में घोटाला हजार करोड़ से अधिक का निकला। इसके खिलाफ सीबीआई ने केस दर्ज कर लिया है। अब तक इस मामले की जांच सीआईडी कर रही थी। सीबीआई के अनुसार एमसीएक्सए बीएसईए एनएसई के समानांतर फर्जी कमोडिटी एक्सचेंज चलाने के मामले में इंदौर के अमित सांवेर उर्फ अमित सोनी और अनुराग सोनी के खिलाफ धारा 420 और आईटी एक्ट की धाराओं में मामला दर्ज किया है। दोनों ने अवैध सॉफ्टवेयर की मदद से फर्जी एक्सचेंज चलाया और निवेशकों व सरकार को करोड़ों का चूना लगाया था। पर्चियों व मोबाइल पर वायदा कारोबार चलाने वाले व्यापारी करोड़ों रुपए का कारोबार हवा में ही करते हैं। अर्थात इसमें किसी प्रकार की वास्तविक खरीद-फरोख्त नहीं होती है। जैसे फर्जी वायदा करोबार चलाने वाले किसी ब्रोकर के पास निवेशक ने 5 क्विंटल सोयाबीन का सौदा करने को कहा उस ब्रोकर ने फोन पर ही निवेशक को बतया कि इस समय इस कमोडिटी का रेट फला-फलां चल रहा है। इस रेट पर बुकिंग के पश्चात जब सौदे के कटान का समय आता है तो उस समय यदि रेट बुकिंग रेट से अधिक है तो ब्रोकर अपना ब्रोक्रेज काटकर शेष मार्जिन मनी निवेशक को दे देता है। इसी प्रकार रेट कम होने पर निवेशक से मार्जिन मनी वसूली जाती है। इस पूरी प्रक्रिया में न किसी ने माल खरीदा और ना किसी ने उसे बेचा अर्थात सारा कारोबार आभासी रूप से हुआ। ईडी और आयकर विभाग करेंगे मिलकर काम ! प्रदेश भर में बे-रोकटोक चल रहे हवाला और चिटफंड कंपनियों के फर्जीवाड़े की धरपकड़ के लिए अब ईडी और आयकर विभाग साथ मिलकर जांच शुरु करेगा। मामले मे आर्थिक अपराधों को लेकर काम करने वाली दो बड़ी जांच एजेंसी को गत दिनों केन्द्रीय कार्यालय ने आदेश जारी किए थे। मामले की गंभीरता को देखते हुऐ प्रवर्तन निदेशालय और आयकर विभाग अपने अपने स्तर पर मामले की जांच करनी शुरु कर दी है। साथ ही सेबी ने मामले मे आयकर विभाग को मध्य प्रदेश मे चल रही चिटफंड कंपनियों की जानकारी दी है जो आए दिन लोगों को लुटते रहते है और इसी इलाके से फर्जीवाडे के अधिक शिकायतें मिलती है। विभाग ने जांच के शुरुआती दौर में इन कंपनियों के सभी राष्ट्रीयकृत और निजी बैंकों के माध्यम से होने वाले ट्रांजेक्शन पर नजर बनाऐ रखी है और अभी तक की जांच में कई कंपनियों के ट्रांजेक्शन संदिग्ध पाए गए हंै। इसकी जानकारी विभाग ने सेबी को दी है। इतना ही नहीं ईडी इन कंपनियों के हवाला कनेक्शन समेत इनके वर्किंग मॉड्यूल में बदलाव की भुमिका की भी जांच कर रहा है। ईडी के अधिकारियों का कहना है कि कंपनियां अपने ऊपर कसते शिकंजे ओर ब्लैक लिस्टेड होता देख अपने तौर-तरीके बदल रही हैं। कुछ ने तो अपने समानांतर नई कंपनी गठित कर ली है। आयकर विभाग और प्रवर्तन निदेशालय जिन कंपनियों की जांच कर रहे हैं उनमें से मुख्य रुप से पीएसीएल इंडिया, बीएनजी प्राइवेट लिमिटेड, सेवलान इंडिया, रामा इंफ्रास्ट्रक्चर, सन इंडिया, किम इंफ्रास्ट्रक्चर और बीएनपी प्राइवेट लिमिटेड के साथ अन्य कंपनियां जांच एजेंसी के धेरे में हैं। नौकरशाहों के 22,000 करोड़ का नहीं मिला सुराग मप्र के नौकरशाहों की जिसे अघोषित 22,000 करोड़ रूपए की संपत्ति का पता पीएमओ को चला था, उसका सुराग अभी तक आयकर विभाग नहीं लगा सका है या यूं भी कह सकते हैं कि विभाग इसको ढूंढने में रूचि नहीं ले रहा है। उल्लेखनीय है कि प्रदेश के आईएएस अफसरों में से अधिकांश के पास बेपनाह चल और अचल संपत्ति है। हालांकि हर साल जब प्रदेश के आईएएस अफसर अपनी संपत्ति का ब्यौरा देते हैं तो अपनी अधिकांश नामी और बेनामी संपत्ति को छुपा जाते हैं, जो करीब 22,000 करोड़ रूपए की आंकी गई है। प्रदेश में अभी तक आईएएस और आईपीएस पर की गई छापामार कार्रवाई में जो बेतहाशा संपत्ति मिली है उससे यह तथ्य सामने आया कि मप्र के अफसर केंद्र और राज्य सरकार ने विभिन्न योजनाओं के लिए मिलने वाले बजट में जमकर घपलाबाजी कर रहे हैं। इन नौकरशाहों ने अपनी अवैध कमाई का बड़ा हिस्सा खेती, रियल स्टेट, बड़ी-बड़ी कंपनियों और ठेकों में निवेश कर रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार भष्ट अफसरों ने प्रदेश की राजधानी भोपाल, इंदौर, होशंगाबाद, ग्वालियर, जबलपुर में खेती की जमीन तो सतना, कटनी, दमोह,छतरपुर और मुरैना में बिल्डर व खनन माफिया के पास करोड़ों रुपए का निवेश किया है। वहीं प्रदेश के बाहर मुंबई, दिल्ली, गुडग़ांव, हिमाचल प्रदेश, ओडिशा,पंजाब, शिमला, असम, आगरा के साथ ही विदेशों में ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, सिंगापुर, दुबई, मलेशिया, बैंकॉक, कनाडा, लंदन में भी संपत्ति जुटाई है। आयकर विभाग के सूत्रों के अनुसार केन्द्र और राज्य सेवा के ज्यादातर अफसरों को यह पता नहीं है कि उनकी संपत्ति की मौजूदा बाजार कीमत क्या है? सूत्रों के अनुसार केन्द्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग भी संपत्ति का वर्तमान मूल्य पता करने का मैकेनिज्म खोजने में लगा है। नौकरशाही में फैले भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग में केंद्रीय सतर्कता आयोग ने अब खुद ही मोर्चा संभाल लिया है। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भ्रष्ट अधिकारियों के यहां आयकर विभाग के छापों की आग अभी ठंडी भी नहीं हुई थी कि अब आयोग के एक नए फैसले ने उनकी चिंताओं को कई गुना बढ़ा दिया है। आयोग ने अब ऐसे मामलों को सार्वजनिक करने का निर्णय किया है, जिनमें उसे लगता है कि आरोपित अधिकारी अपने पद और प्रभाव का इस्तेमाल कर जांच प्रक्रिया को जानबूझ कर प्रभावित करने की कोशिश कर रहा है। हाल के दिनों में आयोग की वेबसाइट पर करीब 30 ऐसे अधिकारियों के नाम देखने को मिले। उक्त सभी अधिकारी आईएएस और आईआरएस से संबद्ध हैं और कम से कम पिछले तीन सालों से आयोग की जांच के दायरे में हैं। इनमें से कई ऐसे हैं, जो फिलहाल वित्त, शहरी विकास जैसे मंत्रालयों में महत्वपूर्ण पदों पर विराजमान हैं। इनके खिलाफ जांच की प्रक्रिया आगे न बढऩे की दो ही वजहें हैं, जांच अधिकारी की अनुपस्थिति या फिर मामले से संबंधित कागजातों को न सौंपना। कोई आश्चर्य नहीं, यदि आयोग के अधिकारियों को लगता है कि जांच प्रक्रिया को जानबूझ कर बाधित किया जा रहा है। बताया जाता है कि नौकरशाहों के अडिय़ल रवैये से परेशान होकर सतर्कता आयोग ने उनके नामों को सार्वजनिक करने का यह नया नुस्खा अपनाया है। अब इसका कोई असर इन बाबुओं पर पड़ता है या नहीं, यह देखने वाली बात होगी। आयकर की नजर मालदार किसानों पर उधर, आयकर विभाग ने अब मालदार किसानों पर भी नजर रखनी शुरू कर दी है। मध्यप्रदेश के प्रमुख शहरों से सटी जमीनों की खरीद-फरोख्त का रिकार्ड खंगाला जा रहा है। खेती की जमीनों का करोड़ों में सौदा करने वाले किसानों का पंजीयन दफ्तरों से ब्यौरा तलब कर नोटिस भेजे गए हैं। सबसे पहले तो यह पता लगाया जा रहा है कि जिसने जमीन खरीदी है उसकी आय का स्रोत क्या है। साथ ही आयकर व स्टाम्प ड्यूटी चोरी के मामलों में शिकंजा कसने की तैयारी की गई है। आयकर विभाग ने राजधानी भोपाल सहित कतिपय अन्य शहरों के समीपस्थ गांवों के किसानों को नोटिस भेजकर तलब किया है। हाल के वर्षों में मोटी रकम लेकर अपनी जमीन बेचने वाले किसानों को विभाग ने नोटिस भी भेजे हैं। इस संबंध में खासतौर पर विभाग की छापामार(इन्वेस्टीगेशन) विंग ने विशेष अभियान शुरू करने की योजना बनाई है। पंजीयन दफ्तरों से भी इस तरह का रिकार्ड तलब किया गया है। विभाग ने अपने खुफिया तंत्र और एडवांस कम्प्यूटर सिस्टम के जरिए ऐसे किसानों को चिन्हित किया है जिन्होंने हाल के वर्षों में मोटी रकम लेकर अपनी जमीनें बेचीं लेकिन विभाग को उन्होंने इसकी सूचना नहीं दी। इतना ही नहीं इस तरह के सौदों पर लगने वाला केपिटल गैन टैक्स भी उन्होंने अदा नहीं किया। आयकर इन्वेस्टीगेशन विंग को पिछले कुछ महीनों में मप्र-छग के शहरों में बड़े धन्नाासेठों के यहां छापामारी में अनेक जानकारियां सामने आईं। सबसे अहम तथ्य तो यह है कि कालेधन को नंबर एक में बदलने के लिए लोग मनमानी कीमतों में जमीनों की रजिस्ट्री करा लेते हैं। किसानों को भी नंबर दो में नकद भुगतान कर दिया जाता है। इससे आयकर के साथ स्टाम्प ड्यूटी चोरी भी हो रही है। हाल ही में राजधानी के बिल्डरों पर हुई छापामारी के दौरान सैकड़ों एकड़ जमीन खरीद-फरोख्त का रिकार्ड सामने आया जिसमें इस तरह की टैक्स चोरी भी मिली है। विभाग ने अब ऐसे किसानों को नोटिस थमा दिए हैं। अभी भोपाल के चारों तरफ आठ किलोमीटर दायरे तक की जमीनों और भवनों की बिक्री पर 20 फीसदी कैपिटल गैन टैक्स लगता है। आयकर विभाग ने इस टैक्स के नियमों में संशोधन कर दिया है। भोपाल नगर निगम की सीमा बढऩे पर इसका क्षेत्र और बढ़ गया है। कुछ समय बाद सीहोर, विदिशा और रायसेन जैसे शहर भी जुड़ जाएंगे। इसलिए शहरों तथा आसपास की जमीन-मकानों बेचने वालों को केपिटल गैन देना होगा। छह माह के भीतर टैक्स जमा नहीं करने वाले किसानों पर पेनाल्टी भी लगाई जाएगी। यदि बिक्री से प्राप्त राशि को पुन: जमीन, मकान व प्लाट आदि में निवेश कर दिया जाए तो टैक्स से बचा जा सकेगा। इसके लिए विभाग ने लंबी गाइड लाइन बना दी है। ई-लॉटरी फ्रॉड से 4000 करोड़ का चूना! इंडिया का मोस्ट वांटेड दाउद इब्राहिम अब ई-लॉटरी के जरिए मप्र सहित देशभर में ठगी को अंजाम दे रहा है। दाउद ने लॉटरी फ्रॉड से करीब 4 हजार करोड़ रुपए की ठगी भारत के लोगों से कर ली है। इंटेलिजेंस ब्यूरो(आईबी) ने देशभर में अलर्ट जारी किया है। पुलिस की गुप्तचर शाखा(इंटलिजेंस) के उच्च पदाधिकारियों ने भी ऐसी आशंका जाहिर की है। दाऊद करांची से बैठकर इस रैकेट को संचालित कर रहा है। इस रुपए को वह हवाला के माध्यम से अन्य देशों से मंगाता है और हवाला से ही टेररिस्ट को भेज देता है। इस रैकेट का संबंध मप्र से भी है, जहां भोपाल सायबर पुलिस ने एक महिला की शिकायत पर पश्चिम बंगाल के 6 लोगों को गिरफ्तार किया था। लॉटरी फ्राड के नाम पर अभी भी लोग इस ठगी का शिकार हो रहे हैं। हालांकि अभी इसकी पुष्टि नहीं हो सकी है कि, क्या मप्र में भी दाउद इब्राहिम के एजेंट मौजूद हैं। कैसे कर रहे हैं लॉटरी फ्राड के नाम पर ठगी कुछ दिनों से बाबई, जिला होशंगाबाद के जयप्रकाश राजपूत के पास फोन, ईमेल आ रहे हैं कि, 'आपने आस्ट्रेलिया में जैकपाट जीता है, आपका एकाउंट यूनाइटेड बैंक ऑफ अफ्रीका,बुर्किनो फासो देश में खोल दिया गया है, जिसमें 7 करोड़ 50 लाख डॉलर जमा कर दिए गए हैं। आप जल्दी से अपना एमाउंट वहां से निकलवा लीजिए नहीं तो वह लैप्स हो जाएगा।Ó इससे जयप्रकाश इतने उत्साहित हो गए कि उन्होंने बुर्किनो फासो के राजदूत कार्यालय से बात भी कर ली। अपनी राशि को अफ्रीका से लेने के लिए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के कार्यालय से भी बात की। जयप्रकाश को इस बात का विश्वास ही नहीं हो रहा है कि इंटरनेट पर फ्रॉड लॉटरी का मायाजाल फैला हुआ है, जिसमें उसे फंसाया जा रहा है। अक्टूबर 2013 में भोपाल की चंचल गुप्ता लॉटरी फ्राड ठगी की शिकार हुई, तो इसकी शिकायत पुलिस की सायबर क्राइम शाखा में की। लॉटरी फ्राड में उसके पास एक ईमेल आया था, जिसमें दावा किया गया कि उसकी 25 लाख की लॉटरी निकली है। इस राशि को पाने के लिए टैक्स भरना होगा। उस टैक्स को 10 हजार, 20 हजार रुपए के रूप में अलग-अलग 4-5 खातों में डलवाया गया जो पश्चिम बंगाल और उत्तरप्रदेश के थे। शिकायत के बाद इस पर साइबर क्राइम पुलिस ने दो महीने तक केस की इन्वेस्टिगेशन की। पश्चिम बंगाल के आसनसोल और रानीगंज से 5 युवकों को पकड़ा, जिनके बैंक खाते इस ठगी में इस्तेमाल हुए थे। इसके दो महीने बाद एक महिला को भी अरेस्ट किया गया। इसमें खाताधारकों को तो पकड़ लिया गया लेकिन उन्हें इस्तेमाल करने वाले एजेंटों तक वे नहीं पहुंच पाए। ये केस अभी भोपाल कोर्ट में चल रहा है। इस तरह के ठगी का मामला पकडऩे के बाद भी पुलिस इसमें आगे कोई कार्रवाई नहीं कर पाती। ये सारे बैंक खाते बंगाल और बिहार में खोले जाते हैं और नक्सल क्षेत्र के आसपास लोग रहते हैं। वहां बैंक खाते बहुत आसानी से खुल जाते हैं जिसकी वजह से इन खातों का इस्तेमाल इंटरनेट से फ्राड करने वाला गिरोह करता है। ऐसे में पुलिस को पता भी चल जाता है कि फ्रॉड करने वाला कौन है लेकिन, लोकल पुलिस का उनका ज्यादा सहयोग नहीं मिलता है। इंटलेजीजेंस ब्यूरो ने देश के सभी राज्यों को आगाह किया है कि दाउद पाकिस्तान में रहकर फ्रॉड लॉटरी का गिरोह चला रहा है। यह काम वह भारत में अपने एजेंटों के माध्यम से करा रहा है। इनफोर्समेंट डायरेक्ट्रेट(ईडी) के अनुसार यह स्केम 4193 करोड़ रुपए का है। इन्वेस्टीगेशन एजेंसियों के अनुसार इस स्केम से जो राशि मिलती है वह हवाला के माध्यम से आतंकवादियों तक पहुंचाई जाती है। आईबी रिपोर्ट के अनुसार 1175 पाकिस्तानी फोन नंबरों पर नजर रखी गई जिनसे 305 नंबर भारतीय मोबाइल धारकों के टच में थे। पाकिस्तान बेस रेकेट भारतीय नंबरों की सहायता से काल करता है और लोगों से कहता है कि उन्होंने लॉटरी जीती है। एजेंट लोगों से कहता है कि कलेक्शन और प्रोसेजिंग चार्ज के रूप में 50 हजार रुपए से 1 लाख रुपए लगेंगे जो भारतीय खातों की मदद से लिए जाएंगे। दाउद के एजेंट, भारतीय बैंक एकाउंट और एटीएम कार्ड धारकों को हायर करते हैं और इस एकाउंट का इस्तेमाल वह पैसों के लेन-देन में करते हैं। इसमें से कुछ पैसा बैंक एकाउंट धारकों को दे दिया जाता है। जैसे ही पैसे जमा होता है, तुरंत पैसे को निकाल लिया जाता है । सउदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात होते हुए ये पैसा हवाला के माध्यम से पाकिस्तान पहुंच जाता है। चार नए एंटी इवेजन ब्यूरो खुलेंगे इधर, प्रदेश में व्यापारियों द्वारा चोरीछुपे किए जा रहे व्यापार से सरकार को हर साल होने वाले हजारों करोड़ के राज्स्व हानि को रोकने के लिए वाणिज्यिक कर विभाग प्रदेश में चार नए एंटी इवेजन ब्यूरो (एईबी) खोलेगा। फिलहाल इंदौर में दो और भोपाल, ग्वालियर, सतना व जबलपुर में एक-एक ब्यूरो हैं। नए ब्यूरो रतलाम, हरदा, छिंदवाड़ा और छतरपुर में खोले जाएंगे। विभाग का मानना है कि नए एंटी इवेजन ब्यूरो के शुरू होने से कर चोरी करने वाले कारोबारियों पर अंकुश लगाया जा सकेगा। वाणिज्यिक कर कमिश्नर राघवेंद्र सिंह ने बताया कि, वाणिज्यिक कर विभाग द्वारा वसूले जाने वाले राजस्व के लक्ष्य को बढ़ा दिया गया है। इस वित्त वर्ष के दौरान विभाग को 25,100 करोड़ रुपए के राजस्व की वसूली करनी है। पिछले वित्त वर्ष में विभाग को 22,770.10 करोड़ रुपए का लक्ष्य दिया गया था। विभाग के अधिकारियों के अनुसार वित्त वर्ष 2015-16 के लिए राजस्व वसूली के लक्ष्य में 2329.9 करोड़ रुपए की बढ़ोतरी की गई है। राजस्व वसूली में पीछे चल रहे वाणिज्यिक कर विभाग के आयुक्त राघवेंद्र सिंह ने जहां दो नंबर के बजाय एक नंबर में माल मंगाने के लिए उन्होंने अधीनस्थों को अधिक गाड़ी पकडऩे और ज्यादा से ज्यादा छापा मारने की हिदायत दी है वहीं टैक्स चोरी पर अंकुश लगाने एईबी की संख्या 6 से बढ़ाकर 10 करने की बात कही है। उन्होंने अधिकारियों से कहा है कि राज्य शासन ने वित्तीय वर्ष 2015-16 का लक्ष्य 25,100 करोड़ रुपए दिया है। इस लक्ष्य को पूरा करने इसी माह से ही जुट जाएं। प्रदेश के अपर आयुक्त, संभागीय उपायुक्त, सहायक आयुक्त और वाणिज्यिक कर अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वित्तीय वर्ष 2013-14 के टैक्स असेसमेंट 31 दिसंबर 2015 तक ही होंगे। यह अवधि किसी भी कीमत पर नहीं बढ़ाई जाएगी। वृत्त अधिकारी प्रतिमाह उनके वृत्त में पंजीबद्ध व्यवसायियों की 10 प्रतिशत जानकारी विभागीय एमआईएस से निकालकर परीक्षण करें। कर चोरी मिलने पर सबसे बड़े पांच मामलों में वैट अधिनियम की धारा 56 के तहत कार्रवाई के लिए प्रस्ताव भेजें।