vinod upadhyay

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मंगलवार, 26 अप्रैल 2022

हर वर्ग को साधो...सत्ता होगी साथ

- मिशन 2023 के लिए शिव-वीडी को शाह का मंत्र संघ और भाजपा की प्रयोग भूमि मप्र पार्टी के लिए कितना महत्वपूर्ण है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि मिशन 2023 के लिए अभी से बिगुल फूंक दिया गया है। भाजपा की राजनीति के चाणक्य और देश के गृहमंत्री अमित शाह ने जंबूरी मैदान से चुनावी शंखनाद के साथ ही प्रदेश भाजपा मुख्यालय में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा सहित दिग्गजों को चुनावी मंत्र दिया है कि हर वर्ग को साधो तो सत्ता भाजपा के साथ बनी रहेगी। शाह के मंत्र पर सत्ता और संगठन ने अमल करने की प्लानिंग शुरू कर दी है। भोपाल मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के सानिध्य में आज मप्र भाजपा का सबसे मजबूत गढ़ बना हुआ है। सत्ता और संगठन के समन्वय से विपक्ष पूरी तरह पस्त नजर आ रहा है। इसके बावजूद केंद्रीय नेतृत्व और संघ इस कोशिश में जुटे हुए हैं कि 2023 में भाजपा 230 में से 200 सीटें जीतकर इतिहास रचे। इसके लिए जहां संघ मैदानी तैयारी में जुटा हुआ है, वहीं 22 अप्रैल को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भोपाल का दौरा कर सत्ता और संगठन को जीत का मंत्र दिया। शाह के इस दौरे के बाद भाजपा नेताओं, पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं का उत्साह सातवें आसमान पर दिख रहा है। गौरतलब है कि अपनी एक दिनी यात्रा के दौरान जहां शाह ने मप्र को कई सौगातें दीं, वहीं आदिवासी समुदाय को कई सहूलियतें। इसके साथ ही भाजपा कार्यालय में पार्टी के रणनीतिकारों के साथ करीब दो घंटे तक चुनावी रणनीति पर मंथन किया। इस दौरान उन्होंने कांग्रेस का बड़ा वोट बैंक रहे दलित, आदिवासियों में भाजपा की पैठ लगातार मजबूत करने के लिए शिवराज और वीडी शर्मा की सराहना की। इस दौरान उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, कैलाश विजयवर्गीय समेत राष्ट्रीय और प्रदेश स्तर के कई पदाधिकारियों को अपनी साख के अनुसार काम करने का मंत्र दिया। उन्होंने सत्ता-संगठन के तालमेल की महत्ता बताई। उन्होंने कहा कि आज मप्र देश के अन्य राज्यों के लिए मॉडल बनकर उभरा है। इसे बरकरार रखना सत्ता और संगठन दोनों की जिम्मेदारी है। इसलिए इस पर और अधिक गौर करने की जरूरत है। आंदोलन की आंच में तप कर निकली है भाजपा केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने केंद्रीय मंत्रियों, पार्टी के राष्ट्रीय पदाधिकारियों, वरिष्ठ नेताओं, प्रदेश पदाधिकारियों एवं प्रदेश के मंत्रियों से कहा कि कांग्रेस की स्थापना किसी विचारधारा के आधार पर नहीं बल्कि एक अंग्रेज अफसर ने एक क्लब के रूप में की थी। जबकि भाजपा 50 के दशक से ही एक विचारधारा पर काम कर रही है। इतने साल बीतने के बाद भी हमारे मूल सिद्धांत, हमारी कार्यपद्धति और संस्कृति वही है, जिन्हें डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी और पं. दीनदयाल उपाध्याय जैसे नेताओं ने रेखांकित किया है। हमारी केन्द्र और राज्य सरकारें गरीब कल्याण के विचार को जमीन पर उतारने का काम कर रही हैं और हमारा नेतृत्व बेदाग है, जिस पर हमें गर्व है। पार्टी कार्यकर्ताओं को भाजपा और अन्य दलों के बीच के इस फर्क को समझना जरूरी है। शाह ने कहा कि देश के स्वतंत्र होते ही कांग्रेस सत्ता में बैठ गई थी। इस वजह से कांग्रेस का आंदोलनों से नाता नहीं रहा। दूसरी तरफ भाजपा राष्ट्र और राष्ट्रवादी विचारधारा को लेकर किए गए आंदोलनों की आंच से तपकर निखरी है। सबसे पहले गोवा की स्वतंत्रता, गौहत्या पर प्रतिबंध के लिए आंदोलन किया। 1975 में हम आपातकाल के विरुद्ध आंदोलन में शामिल हुए। इसके बाद राम जन्मभूमि आंदोलन, तिरंगा यात्रा और ऐसे ही अनेक आंदोलन पार्टी ने किए हैं, जो हमारी विचारधारा से प्रेरित और उसी पर आधारित है। यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि इन आंदोलनों का उद्देश्य पार्टी का विस्तार नहीं था बल्कि इन मुद्दों के प्रति जनता में चेतना लाना और कार्यकर्ताओं को इनसे जोडऩा ही पार्टी का लक्ष्य रहा है। भाजपा कार्यालय में बैठक के दौरान शाह ने पार्टी नेताओं को उदाहरणों के साथ पार्टी की रीति, नीति और आगामी चुनाव की रणनीति समझाई। शाह ने कहा कि प्रत्येक पार्टी का चरित्र उसकी विचारधारा, कार्यक्रम और नेतृत्व से तय होता है। सांस्कृतिक राष्ट्रवाद और गरीब कल्याण हमारी विचारधारा के मूल हैं। हमारे जैसे नेता किसी पार्टी में नहीं है। यह बात हम गर्व के साथ कह सकते हैं कि हमारे नेतृत्व पर कभी आरोप नहीं लगे और इसलिए हम एक अलग तरह की पार्टी है। शाह ने कहा कि हमारे नेता स्व. कुशाभाऊ ठाकरे ने संगठन की नींव रखी थी। उन्होंने मध्यप्रदेश में पार्टी संगठन द्वारा चलायी जा रही बूथ विस्तारक योजना की तारीफ करते हुए कहा कि स्व. ठाकरे के जन्म शताब्दी वर्ष पर मध्यप्रदेश में पार्टी संगठन ने बूथ सशक्तिकरण का जो काम हाथ में लिया है वह पूरी तरह सफल रहा है। प्रदेश नेतृत्व ने कार्यक्रमों की जो रूपरेखा बनायी है वह भी बहुत अच्छी है। उन्होंने कहा कि बूथ सशक्तिकरण के लिए यह जरूरी है कि पार्टी कार्यकर्ता बूथ पर विचारपूर्वक काम करें। किस बूथ पर हम अपेक्षाकृत कमजोर स्थिति में है और वहां मजबूती के लिए क्या किया जाना चाहिए, कौन-से समीकरण उस बूथ को प्रभावित करते हैं, किस नेता या कार्यकर्ता को वहां भेजा जाना उचित होगा, इन सभी बातों पर विचार करते हुए योजना बनाएं। शाह ने कहा कि पार्टी को बूथ पर मजबूत बनाने के लिए हमें मजदूरी नहीं बल्कि योजनाबद्ध तरीके से परिश्रम करना है। उन्होंने पार्टी पदाधिकारियों और नेताओं से आह्वान किया कि सभी 10-10 बूथों की जिम्मेदारी अपने उपर लें। अब कॉमन सिविल कोड की बारी केंद्र सरकार देश में कॉमन सिविल कोड (समान नागरिक संहिता) लागू करने की तैयारी में है। भोपाल में भाजपा के प्रदेश कार्यालय में पार्टी के नेताओं को संबोधित करते हुए गृह मंत्री अमित शाह के बयान ने इस पर सुगबुगाहट शुरू कर दी है। शाह ने कहा कि हमारी पार्टी की केंद्र सरकार ने धारा 370, राम जन्मभूमि, तीन तलाक और नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) जैसे अधिकांश मुद्दों को हल कर दिया है। कॉमन सिविल कोड जैसे जो कुछ बचे हैं, उन्हें भी आने वाले वर्षों में हल कर दिया जाएगा। गृहमंत्री ने मध्य प्रदेश से जुड़े केंद्रीय मंत्रियों, राष्ट्रीय पदाधिकारियों और अन्य नेताओं की मौजूदगी में कहा कि कॉमन सिविल कोड का प्रयोग उत्तराखंड में किया जाएगा। वहां, इसे अमल में लाने के बाद हालात का जायजा लेंगे और फिर पूरे देश में इसे लागू किया जाएगा। यह 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले करने की कोशिश की जा रही है। शाह का यह कहना बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि राम मंदिर, धारा 370 और कॉमन सिविल कोड भाजपा के तीन मुख्य मुद्दे रहे हैं। राम मंदिर बनाने और धारा 370 को हटाने के मुद्दे हल चुके हैं। ऐसे में कॉमन सिविल कोड ही एकमात्र ऐसा मुद्दा है, जो भाजपा के चुनाव घोषणा पत्र में लंबित है। इसे लागू करने का दबाव संघ भी बना रहा है। गौरतलब है कि कॉमन सिविल कोड यानी सभी नागरिकों के लिए एक ही कानून। इस समय भारत में शादी, तलाक, दत्तक और संपत्तियों के उत्तराधिकार को लेकर अलग-अलग धर्मों के पर्सनल लॉ लागू है। इसे एकरूपता देते हुए सभी नागरिकों के लिए समान कानून की बात यह कोड करता है। संविधान में भी इसे लागू करने की बात कही गई है। हालांकि, अलग-अलग धर्मों के विरोध के चलते राजनीतिक पार्टियां इस पर कुछ करने से बचती रही है। सुप्रीम कोर्ट भी कई मामलों में देश में कॉमन सिविल कोड की जरूरत बता चुका है। चुनाव से पहले बूस्टर डोज शाह ने प्रदेश सरकार की प्रशंसा की कि यहां पर शांति और समन्वय का माहौल है। उन्होंने कहा कि मप्र में अनुकूल माहौल है। यह संगठन के गढ़ जैसा है। यहां संभलकर काम करें। यदि मप्र बिगड़ेगा तो पूरे देश में असर जाएगा। उन्होंने यहां के नेताओं का बताया कि दिल्ली में लापरवाही हुई, इस कारण दिल्ली में स्थिति बिगड़ गई है। अत: अब मप्र में संभलकर काम करें। शाह ने कहा कि कार्यकर्ता अपने स्तर पर काम कर रहे हैं, लेकिन कमजोर व हारे बूथ अब बड़े नेता संभालें। उन्होंने सीएम शिवराज सिंह, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव, सह-प्रभारी पंकजा मुंडे, समेत कुछ बड़े नेताओं से अलग से मंथन किया। शाह ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से कहा कि भाजपा में नेता-कार्यकर्ता एक समान हैं। सरकार कितना भी अच्छा काम करे, अच्छे संगठन के बिना चुनाव नहीं जीता जा सकता। संगठन से ही सरकार है। नेता छोटा हो या बडा, सभी को बूथ पर जाना होगा। अध्यक्ष भले ही उम्र में छोटा हो, पर अध्यक्ष होता है। उन्होंने किस्सा सुनाते हुए कहा कि मैं जब अध्यक्ष था, तब ओडिशा में पंचायत चुनाव पर काम किया। लोग हंसते थे, क्योंकि सभी सीनियर थे। बाद में काम का असर दिखा। शाह ने आगे कहा, पिछली बार जबलपुर आया था तो बूथ विस्तार के लिए कहा था। इसमें अच्छा काम हुआ है। अब और भी गहराई से काम करने की जरूरत है। हर बूथ तक पकड़ होनी चाहिए। भाजपा के दिग्गज नेता और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भोपाल यात्रा के दौरान चुनाव से पहले पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को मिलकर मिशन 2023 को साधने का बूस्टर डोज दे दिया है। अघोषित तौर पर भाजपा ने मिशन 2023 का आगाज कर दिया है। अमित शाह का दौरा सियासी मायनों में बेहद महत्वपूर्ण है। केंद्रीय गृहमंत्री ऐसे समय में भोपाल आए जब प्रदेश में चुनावों का सिलसिला शुरू होने वाला है। पंचायत, नगरीय निकाय और विधानसभा चुनाव सब होना हैं। भाजपा इलेक्शन मोड पर आ चुकी है इसलिए पार्टी की तैयारियों से लेकर बड़े वोट बैंक को साधने के लिए अमित शाह का यह दौरा रखा गया था। इस दौरे से भाजपाईयों को जोश का बूस्टर डोज मिला है। बैठक में शाह ने गोपाल भार्गव का उदाहरण देते हुए कहा- गोपालजी बड़े नेता हैं, उनका प्रभाव भी है, लेकिन ट्राइबल एरिया में उनकी पकड़ बहुत मजबूत नहीं हो सकती। लिहाजा उसी समुदाय के बीच से क्षेत्रीय नेतृत्व को ऊपर लाएं। इस दौरान उन्होंने टीम वीडी शर्मा को नसीहत भी दी। बूथ विस्तार का मतलब यह होना चाहिए कि आपने कितने नए चेहरे पार्टी में शामिल कराए? भाजपा नेतृत्व शिवराज सरकार से खुश! अमित शाह ने भोपाल दौरे के दौरान जहां पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कामों की तारीफ की। वहीं संगठन और पार्टी के नेताओं के साथ बैठक भी की। इस दौरान अमित शाह ने संगठन को आने वाले चुनाव के लिए पूरी तरह से तैयार रहने के लिए कहा। शाह ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की प्रशंसा की और कहा कि जिस तरह से सरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण को लागू कर रही है, वह काबिले तारीफ है। अमित शाह ने जंबूरी मैदान में आयोजित कार्यक्रम में कहा कि, मुख्यमंत्री शिवराज जी आदिवासियों को समृद्ध बना रहे हैं। जब तक जनजातिय भाइयों-बहनों का कल्याण नहीं होता तब तक प्रदेश का कल्याण नहीं होता। पहली बार देश में कोई राज्य सरकार जंगलों के मालिक जनजातिय भाइयों को बनाने का काम कर रही है। पहली बार जंगल से जो भी कमाई होती है, इसका 20 प्रतिशत हिस्सा वन समिति के हाथ में सौंपकर आपको इसका सीधा मालिक बनाने का काम किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की जो विचारधारा है कि गरीब से गरीब को अधिकार मिले, उस स्वप्न को शिवराज जी साकार करने का काम कर रहे हैं। केंद्रीय गृह मंत्री शाह के भोपाल दौरे से पहले माना जा रहा था कि विधानसभा चुनाव से पहले सरकार में नेतृत्व परिवर्तन की दिशा में भाजपा कोई बड़ा कदम उठाने वाली है। भाजपा दफ्तर में हुई सत्ता और संगठन की संयुक्त बैठक में शाह ने जिस तरह से अपना संदेश दिया, उसने यह तय है कि अगला चुनाव शिवराज के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा। शाह ने कहा- शिवराजजी प्रदेश के सर्वमान्य नेता हैं, संगठन को पूरी ताकत से उनके साथ खड़ा होना चाहिए। सरकार के फैसलों को अंतिम छोर तक पहुंचाना संगठन का काम है। उत्तराखंड, कर्नाटक और फिर गुजरात में मुख्यमंत्री बदलकर भाजपा ने अपने नेताओं को यह स्पष्ट संदेश दे दिया है कि अगर वे नॉन परफॉर्मर रहे तो उन्हें जाना पड़ेगा। मप्र में शिवराज सिंह चौहान भाजपा के सबसे बड़े नेता हैं और लगभग डेढ़ दशक से अधिक समय से मुख्यमंत्री का पद संभाल रहे हैं। पार्टी सूत्रों की मानें तो परफार्मेंस के आधार पर शिवराज अन्य भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की तुलना में सेफ जोन में दिखाई देते हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जंबूरी मैदान से अपने संबोधन में मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार की तारीफ की। उन्होंने कहा- जबलपुर में हुए सम्मेलन के दौरान हमने 17 घोषणाएं की थीं। मैंने शिवराजजी से कहा था जनता इनका हिसाब मांगेगी। आज मैंने हेलिकॉप्टर में शिवराजजी से रिपोर्ट ली। मुझे खुशी है सभी 17 पर काम शुरू हो चुका है। शिवराजजी ने मप्र को बीमारू राज्य के ठप्पे से बाहर निकालकर विकसित राज्य बना दिया है। एमपी में आदिवासियों के लिए जो कदम उठाए गए वो दूसरे प्रदेश में अनुकरणीय हैं। मैं शिवराजजी की टीम को बधाई देता हूं। 22 फीसदी वोट बैंक को साधा अपनी यात्रा के दौरान अमित शाह शिवराज सिंह चौहान के साथ मिलकर 22 फीसदी वोट बैंक को साध गए। शाह ने जम्बूरी मैदान में वन समितियों के सम्मेलन में आदिवासियों को बड़ी सौगात दी। शाह ने वन समिति को लाभांश की राशि वितरित की। हरदा की वन समिति को 5 करोड़ दिए गए। वन ग्रामों को राजस्व ग्राम बनाने का शुभारंभ किया। प्रदेश के 26 जिलों के 827 गांव अब राजस्व ग्राम होंगे। केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने कहा कि 2014 में जब सरकार बनी थी तब मोदी जी ने कहा था ये गरीबों की सरकार है। भाजपा की तमाम राज्य सरकार गरीबों के लिए काम कर रही हैं। वहीं 68 करोड़ रुपए तेंदूपत्ता संग्राहक को सीधे खाते में भेजा गया है। हर गरीब को घर देने का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संकल्प लिया है। हर घर में नल से जल पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में आज बहुत बड़ा बदलाव आया है। कोरोना की वैक्सीन देकर लोगों को सुरक्षित करने का काम भाजपा की सरकार ने किया है। आयुषमान योजना से हर बीमारी से लडऩे की शक्ति दी है। 19.7 फीसदी विकास दर हमने हासिल की है। सकल घरेलू उत्पाद में मप्र ने 200 फीसदी वृद्धि की है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राज्य में तेंदूपत्ता संग्राहकों के लिए 250 रुपये प्रति 100 गड्डी के बजाय 300 रुपये प्रति 100 गड्डी दिए जाने की घोषणा भी की। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि 26 जिलों में स्थित 827 से ज्यादा वन ग्रामों के राजस्व ग्राम बनने से जमीनों के खाते बन सकेंगे, व्यवस्थित अभिलेख होगा। इसके साथ ही वन ग्रामों को अन्य ग्रामों की तरह नहीं मिलने वाले लाभ भी अब मिलने लगेंगे। शिवराज ने कहा कि हमने तय किया था पेसा एक्ट मध्य प्रदेश में लागू किया जाएगा। आज मुझे बताते हुए खुशी है कि आदिवासी भाई-बहनों की जिंदगी बदलने के लिए पेसा एक्ट लागू करने की प्रक्रिया मध्य प्रदेश में प्रारंभ हो गई है। सामुदायिक वन प्रबंधन का अधिकार दिया है। आपने प्रदेश में घने जंगल बढ़ाने का काम किया है। यह जल, जमीन, जंगल आपके है। अंग्रेजों ने ऐसे काले कानून बना दिए थे कि घुस नहीं सकते। पत्ता नहीं तोड़ सकते। जिंदगी दूभर कर दी थी। सामुदायिक वन प्रबंधन का अधिकार एक क्रांतिकारी कदम है। अब जंगल आप ही बचाएंगे। इसे बदलने की प्रक्रिया भी ग्रामसभा तय करेगी। प्रदेश में आदिवासियों के तीसरे बड़े कार्यक्रम को भाजपा की 2023 के चुनाव की तैयारियों के रूप में देखा जा रहा है। मध्य प्रदेश में आदिवासी वर्ग के लिए 47 सीटें हैं। इसके अलावा सामान्य वर्ग की 31 सीटें ऐसी हैं, जहां आदिवासी वोटर निर्णायक हैं। 2018 के विधानसभा चुनावों में भाजपा को बहुमत नहीं मिल सका था तो कहीं न कहीं उसका कारण आदिवासी सीटों पर होल्ड गंवाना था। रिजर्व 47 सीटों में 2013 में भाजपा के पास 32 सीटें थी, जो 2018 में घटकर 16 रह गई थीं। 2011 की जनगणना के मुताबिक मध्य प्रदेश में 43 आदिवासी समूह हैं। प्रदेश में आदिवासियों की आबादी 2 करोड़ से ज्यादा है, जो 230 में से 84 विधानसभा सीटों पर असर डालती है। इनमें सबसे ज्यादा आबादी भील-भिलाला करीब 60 लाख, तो गोंड जनजाति की आबादी करीब 50 लाख है। कोल 11 लाख, तो कोरकू और सहरिया करीब छह-छह लाख हैं। करीब 10 साल बाद ये आंकड़े काफी हद तक बदल चुके हैं। निवेशकों से लेकर आधी आबादी तक फोकस उधर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में भाजपा मिशन 2023 की तैयारी में जी जान से जुट गई है। मुख्यमंत्री ने हर वर्ग को साधने का प्लान तैयार किया है। निवेशकों से लेकर आधी आबादी यानि महिलाओं तक पर उसका फोकस है। हर वर्ग तक पहुंचने की कोशिश की जा रही है। लगातार प्रदेश में बड़े प्रोग्राम हो रहे है। शिवराज सरकार का प्रदेश में निवेश बढ़ाने पर फोकस है। निवेशकों को मप्र में आकर्षित करने के लिए नियमों में संशोधन के लिए बड़ी बैठक हो रही हैं। शिवराज उद्योगपतियों से लगातार मुलाकात कर रहे हैं। उनकी विदेश यात्रा से पहले बैठकों का दौर जारी है। निवेशकों को मप्र लाने का प्लान है। मई में सीएम शिवराज विदेश जाएंगे। शिवराज सरकार ने मिशन 2023 के लिए अपना पिटारा खोल दिया है। मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना के बाद सरकार कन्या विवाह योजना पर फोकस कर रही है। मुख्यमंत्री शिवराज 21 अप्रैल को इसकी शुरुआत कर चुके हैं। इसमें हितग्राही बेटी को अब 55 हजार रुपये मिलेंगे। वहीं 2 मई को लाड़ली लक्ष्मी उत्सव का आयोजन होगा। ये उत्सव 11 मई तक मनाया जाएगा। इसमें मां तुझे प्रणाम योजना के तहत प्रदेश की 200 लड़कियां देश के सरहदी इलाकों की यात्रा करेंगी। हितग्राही लड़कियों को ड्राइविंग लायसेंस मिलेंगे। हेल्थ टेस्ट, टेबलेट्स वितरण, रंगोली और खेल गतिविधियां भी की जाएंगी। मिशन 2023 के लिए हर वर्ग को साधने वाले प्लान पर प्रदेश भाजपा मंत्री रजनीश अग्रवाल ने कहा विकास और सुशासन के साथ जन कल्याणकारी योजनाओं का लाभ गरीब निम्न और मध्यम वर्ग तक पहुंचाया जा रहा है। चुनाव आते हैं जाते हैं लेकिन ये कल्याणकारी योजना जारी रहेंगी। यही हमारी सरकार का संकल्प है। मिशन 2023 के लिए हर वर्ग को साधने वाले भाजपा के प्लान पर प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता अजय सिंह यादव ने कहा पहले भी कई इन्वेस्टर मीट हो चुकी हैं। लेकिन निवेशक जानते हैं कि भाजपा सरकार में भ्रष्टाचार और अपराध का बोलबाला है। निवेशकों को भाजपा सरकार पर विश्वास नहीं है। मध्यप्रदेश में पहले से 25 हजार झूठी घोषणाएं की गईं। इस पर अमल नहीं हुआ। चुनाव के कारण फिर से झूठी घोषणाएं की जा रही हैं। जनता समझ चुकी है। अब जनता इनके झांसे में नहीं आएगी। शिव 'राजÓ में हर वर्ग खुशहाल प्रदेश में मुख्यमंत्री के तौर पर शिवराज सिंह चौहान ने सुशासन की ऐसी मिसाल बनाई जिसमें राम राज्य की पूरी झलक मिलती है। खासकर अपनी चौथी पारी के 2 साल में उन्होंने एक ऐसी सरकार का खाका प्रस्तुत किया है जिसको देखकर बरबस मुंह से निकल जाता है-अबकी बार सबकी सरकार। यानी कोरोना संक्रमण के इस दौर में शिवराज सीएम कम अभिभावक ज्यादा दिखे हैं। उनके इस बदले नजरिए ने हर वर्ग को खुशहाल बना दिया है। शिवराज सिंह चौहान की सरकार को सबसे बड़ा आधार सुशासन है। सुशासन की आठ प्रमुख विशेषताए हैं। यह आम सहमति, जवाबदेही, भागीदारी, पारदर्शी, उत्तरदायी, प्रभावी एवं कुशल, न्यायसंगत और समावेशी होने के साथ-साथ कानून के शासन का अनुसरण करता है। शिवराज सिंह चौहान ने हमेशा ही इसका अनुशरण किया है। सुशासन की स्थापना के लिए सरकार ने कड़े कदम उठाए। शराब, खनिज, चिटफंड, मिलावट, भू-माफिया सहित आदतन अपराधियों के खिलाफ अभियान चलाया, तो सीएम जनसेवा योजना के तहत नागरिकों को घर बैठे निवासी, जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र सहित अन्य सुविधाएं दी जा रही हैं। 60 हजार से अधिक लोग इनका लाभ ले चुके हैं। चिन्हित सेवाओं के डीम्ड अप्रूवल की व्यवस्था लागू की गई है। योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए आपकी सरकार-आपके साथ अभियान भी चलाया है। 2020 से पहले शिवराज सिंह चौहान अपने तीन कार्यकाल में 13 साल तक मुख्यमंत्री रहे। 13 साल के शासन काल में शिवराज की छवि एक उदारवादी नेता के रूप में थी, मगर चौथे कार्यकाल में उनका नया अवतार देखने को मिला है। अपने इस कार्यकाल में वह आम जनता के लिए फूल से भी अधिक कोमल और अपराधियों के लिए बज्र से भी अधिक कठोर है। मध्य प्रदेश में अब बलात्कारियों, गुंडे-बदमाशों के ठिकानों पर च्मामा का बुल्डोजरज् चल रहा है। सीएम ने अपराधियों को खुली धमकी दी है कि अगर उन्होंने किसी गरीब पर हाथ उठाया तो वो उनके घर सीधे बुलडोजर चला देंगे। एक कार्यक्रम में शिवराज सिंह चौहान ने कहा - एमपी के सारे अपराधी सुन लो, किसी गरीब या कमजोर पर हाथ उठाया तो तुम्हारे घर उखाड़कर उसे मिट्टी में मिला दूंगा। तुम्हें यहां शांति से जीने नहीं दूंगा। शिवराज सिंह चौहान भाजपा के इतिहास में सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने वाले नेता भी बन गए हैं। हाल ही में उन्होंने छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह का भी रिकॉर्ड तोड़ दिया है। 15 साल से अधिक समय तक प्रदेश के सत्ता सिहासन के सर्वोच्च पद पर रहना मामूली बात नहीं होती। पद से कद बढ़ता है और इसका असर व्यक्तित्व पर कहीं ना कहीं दिखाई दे जाता है। ज्यादा समय तक पद पर रहने वालों के सर पर अक्सर कुर्सी खुद बैठ जाती है पर शिवराज इसके अपवाद हैं। वह आज भी कुर्सी पर हावी है।

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