vinod upadhyay

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शनिवार, 22 मार्च 2014

पर्चियों और मोबाइल पर करोड़ों का कारोबार

मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) और नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज (एनसीडीईएक्स) के समानांतर फर्जी एक्सचेंज चलाने वाले गिरोह की जांच अब सीबीआई द्वारा की जाएगी। इसके बावजूद शहर और प्रदेश में अभी भी धड़ल्ले से सैकड़ों करोड़ रुपए का फर्जी कारोबार रोजाना हो रहा है। इस कारोबार से जुड़े लोगोंं की माने तो पुलिस की कड़ी निगरानी के बावजूद पर्चियों और मोबाइल के सहारे आज भी यह करोड़ों रुपए का कारोबार रोजाना हो रहा है। कारोबारी कहते हैं कि चूंकि इस तरीके के कारोबार में पूरी तरह से नगदी का ही प्रयोग होता है इसलिए अवैध रूप से यह कारोबार निर्बाध गति से जारी है। नगद में कारोबार इस संबंध में बात करने पर द सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) के एक पदाधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा कि पर्चियों और मोबाइल के जरिए एमसीएक्स के इतर अभी भी करोड़ों रुपए का काम व्यापारियों की सहमति से हो रहा है। चूंकि यह सौदे नगद और दो लोगों के बीच होते हैं इसलिए किसी को सौदे विशेष की जानकारी नहीं हो पाती है। उन्होंने कहा कि कंपनी विशेष के इतर छोटे और शहर से लगे क्षेत्रों के व्यापारी इसमें ज्यादा बड़ी भूमिका निभाते हैं। सरकार को इस संबंध में प्रभावी कदम उठाना चाहिए क्योंकि वैधानिक तरीके से कारोबार होगा तो सरकार को भी आयकर, सर्विस टैक्स आदि के रूप में राजस्व मिलेगा। जानकारों के अनुसार वायदा बाजार में प्रति दिन करीब दो लाख टन सोयाबीन और 1.5 लाख टन तेल का कारोबार होता है। सौदे काटने का काम अभी भी वहीं दूसरी ओर एक अन्य व्यापारी का कहना है कि इंदौर में जो फर्जी एक्सचेंज पकड़ाया है वह पहली बार हुआ है, लेकिन स्क्रीन पर भाव देखकर पर्चियों पर सौंदा लिखकर बुकिंग और कुछ समय बाद व्यापारी के हिसाब से सौदे काटने (सौदा पूरा होना) का काम अभी भी हो रहा है। उन्होंने कहा कि चूंकि यह काम साख पर और नगद होता है इसलिए व्यापारी इसको बड़े पैमाने पर करते हैं। जो व्यक्ति बुकिंग करता है वह सौदा कटने के बाद मार्जिन मनी व्यापारी विशेष तक पहुंचा देता है। वहीं मोबाइल पर भी सौदे बुक हो रहे है, इसमें भी पर्ची वाली प्रक्रिया ही अपनायी जाती है। उन्होंने कहा कि इस व्यापार का सही अनुमान लगाना तो कठिन है क्योंकि यह देश भर में हो रहा है लेकिन व्यापारियों के कुल डब्बा कारोबार का 30 फीसदी से भी अधिक पर्ची और मोबाइल पर इस प्रकार के सौदे हो रहे हैं। इंदौर से ही देश के अन्य शहरों के व्यापारी इस प्रकार का सौदा कर रहे हैं। इस संबंध में वाणिज्यकर विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि चूंकि इसमें फिजिकल सौदा नहीं होता है इसलिए यह हमारी जद में नहीं आता है। हम निगरानी अवश्य कर रहे हैं। सावधान रहे निवेशक निवेशकों को फर्जी वायदा कारोबारियों से सावधान रहना होगा। कमोडिटी सहित अन्य वायदा कारोबार में ट्रेडिंग करना चाहते हैं तो देश के नेशनल एक्सचेंजों में लिस्टेड सब ब्रोकरों के माध्यम से ही वायदा कारोबार करें। देश में एमसीएक्स व एनसीडीईएक्स दो बड़े वायदा एक्सचेंज है। इसके साथ ही वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) के माध्यम से भी अधिकृत सब ब्रोकरों की जानकारी प्राप्त की जा सकती है। देश में वायदा कारोबार को रेग्युलेट करने का काम एफएमसी ही करती है। यदि ब्रोकर को लेकर निवेशक के मन में किसी भी प्रकार की शंका है या उसे यह लग रहा है कि कहीं ब्रोकर फर्जी तो नहीं इस स्थिति में तुरंत पुलिस में या एफएमसी को शिकायत करें। आभासी होता है कारोबार पर्चियों व मोबाइल पर वायदा कारोबार चलाने वाले व्यापारी करोड़ों रुपए का कारोबार हवा में ही करते हैं। अर्थात इसमें किसी प्रकार की वास्तविक खरीद-फरोख्त नहीं होती है। जैसे फर्जी वायदा करोबार चलाने वाले किसी ब्रोकर के पास निवेशक ने 5 क्विंटल सोयाबीन का सौदा करने को कहा उस ब्रोकर ने फोन पर ही निवेशक को बतया कि इस समय इस कमोडिटी का रेट फला-फलां चल रहा है। इस रेट पर बुकिंग के पश्चात जब सौदे के कटान का समय आता है तो उस समय यदि रेट बुकिंग रेट से अधिक है तो ब्रोकर अपना ब्रोक्रेज काटकर शेष मार्जिन मनी निवेशक को दे देता है। इसी प्रकार रेट कम होने पर निवेशक से मार्जिन मनी वसूली जाती है। इस पूरी प्रक्रिया में न किसी ने माल खरीदा और ना किसी ने उसे बेचा अर्थात सारा कारोबार आभासी रूप से हुआ। 1000 करोड़ से अधिक का घोटाला डिब्बा कारोबारी अमित सांवेर द्वारा संचालित फर्जी कमोडिटी एक्सचेंज की सीबीआई द्वारा प्रारंभिक जांच में घोटाला हजार करोड़ से अधिक का निकला। इसके खिलाफ सीबीआई ने केस दर्ज कर लिया है। अब तक इस मामले की जांच सीआईडी कर रही थी। सीबीआई के अनुसार एमसीएक्सए बीएसईए एनएसई के समानांतर फर्जी कमोडिटी एक्सचेंज चलाने के मामले में इंदौर के अमित सांवेर उर्फ अमित सोनी और अनुराग सोनी के खिलाफ धारा 420 और आईटी एक्ट की धाराओं में मामला दर्ज किया है। दोनों ने अवैध सॉफ्टवेयर की मदद से फर्जी एक्सचेंज चलाया और निवेशकों व सरकार को करोड़ों का चूना लगाया था। प्रतिदिन होने वाला फर्जी कारोबार सोयाबीन - 5.20 करोड़ रुपए सोयाबीन तेल- चार करोड़ रुपए सराफा - 10 करोड़ रुपए दाल व अन्य अनाज - 15 करोड़ रुपए धनिया - एक करोड़ रुपए (व्यापारियों से बातचीत के आधार पर सौंदों का अनुमान) - See more at: http://naidunia.jagran.com/special-story-business-worth-millions-on-slips-and-mobile-55299#sthash.vSqij24n.dpuf

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