vinod upadhyay

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बुधवार, 25 मई 2011

विनय उपाध्याय
भोपाल. प्रदेश के 28 शहर-कस्बों में केंद्र सरकार की मदद से चल रहे वाटर सप्लाई के प्रोजेक्ट रुक गए हैं। आलम ये है पांच साल गुजर चुके हैं और 40 फीसदी काम भी पूरा नहीं हो पाया है। इसकी वजह है पैसे की कमी।
ठेकेदारों ने भी भुगतान नहीं होने से काम रोक दिए हैं। जिन जगहों के प्रोजेक्ट रुके हैं उनमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के विधानसभा क्षेत्र बुदनी की तीन नगर पंचायतें भी शामिल हैं। जबकि इन वाटर सप्लाई प्रोजेक्टों पर इसलिए ध्यान दिया जाना चाहिए था, क्योंकि इन शहरों में तीन-चार दिन में एक बार ही पानी की सप्लाई हो रही है। इस संबंध में नगरीय प्रशासन विभाग के सूत्रों का कहना है कि समय सीमा में काम नहीं हो पाने के कारण ही केंद्र सरकार से स्वीकृत 560 करोड़ रुपए के प्रोजेक्टों की लागत बढ़कर करीब 670 करोड़ रुपए हो गई है। सरकार ने इस योजना के लिए बजट में राशि का प्रावधान नहीं किया है।
केंद्र सरकार ने 29 मार्च 2006 को प्रदेश के 31 निकायों के लिए अर्बन इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट स्कीम फॉर स्मॉल एंड मीडियम टाउन (यूआईडीएस एसएमटी) योजना स्वीकृत की थी। इसके तहत इंटेकवेल, वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट और निकाय क्षेत्र में पाइप लाइन बिछाई जानी है। योजना के लिए 80 प्रतिशत राशि केंद्र से मिलनी है, जबकि 10-10 फीसदी राशि राज्य शासन व स्थानीय निकाय को वहन करना है।
योजना के क्रियान्वयन के लिए बनी स्टेट लेवल कमेटी की रिपोर्ट के मुताबिक केंद्र सरकार ने मात्र 13 निकायों के लिए दूसरी किस्त जारी की है, जबकि 10 निकायों का प्रस्ताव छह माह से केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय में अटका हुआ है।
पानी की मांग 14,850 एमएलडी (मिलियन लीटर डेली)
प्रति व्यक्तिमांग - 135 लीटर
सप्लाई - 2,970 एमएलडी (मिलियन
लीटर डेली)
प्रति व्यक्ति
सप्लाई - 27 लीटर
कुल मांग का 20 प्रतिशत (प्रदेश के शहरी क्षेत्र की आबादी 1 करोड़ 10 लाख के हिसाब से)
दस दिन बाद पानी
शाजापुर की बडग़ांव नपं में 10 दिन में एक बार पानी मिलता है। शुजालपुर और सोयतकला नगर पंचायत में सात दिन में एक बार ही सप्लाई होती है।
22 निकाय ऐसे हैं, जो तीन दिन में पानी सप्लाई करते थे।
41 निकाय दो दिन छोड़कर पानी देते थे। अब इनकी संख्या 41 हो गई है।
112 निकाय एक दिन छोड़कर पानी की आपूर्ति करते थे।
185 निकाय रोजाना पानी की सप्लाई करते थे।
(नगरीय प्रशासन व विकास विभाग से प्राप्त आंकड़े -यह स्थिति 10 अप्रैल 2011 की है)
इसलिए रोकी राशि
केंद्र ने राशि इसलिए रोकी है, क्योंकि निकायों ने रिफॉर्म की शर्तो पर अमल नहीं किया है। केंद्र सरकार की शर्त थी कि निकायों को अपनी आय बढ़ाने के साथ आर्थिक ढांचा मजबूत़ करना होगा, लेकिन इस दिशा में काम नहीं हो पाया है।
मांगा है लोन
ठेकेदार द्वारा काम बंद करने की जानकारी मुख्यमंत्री को दे दी गई है। उनके सचिव को शासकीय पत्र भी भेजा गया है। निकाय की आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए शासन से 1.22 करोड़ रु.का लोन मांगा है।
सुभाष पंजाबी, अध्यक्ष, नगर पंचायत, बुधनी

दो माह से रुका है बुदनी प्रोजेक्ट

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के विधानसभा क्षेत्र बुदनी की 17 हजार आबादी को 3 एमएलडी (मिलियन लीटर डेली) नर्मदा के पानी की आपूर्ति करने के लिए इस योजना के तहत 1.94 करोड़ रुपए स्वीकृत हुए थे। दिसंबर 2009 में इंटेकवेल, वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण शुरू हुआ।
टेंडर में घरों तक पानी पहुंचाने के लिए पाइप लाइन बिछाया जाना भी शामिल था। लेकिन इंटेकवेल और ट्रीटमेंट प्लांट निर्माण का काम ही शुरू हो पाया, वह भी अधूरा है, जबकि यह प्रोजेक्ट दिसंबर 2010 में पूरा होना था। इस काम के लिए निकाय को अब तक 87.57 लाख रुपए मिले हैं।
ठेका कंपनी एड्रोइट एसोसिएट ने दो माह पहले काम रोक दिया था। वर्तमान में बुदनी में ट्यूबवेल के माध्यम से लोगों को(40 लीटर प्रतिव्यक्ति) पानी की सप्लाई होती है, लेकिन यह आबादी के हिसाब से पर्याप्त नहीं है। इस योजना के तहत रेहटी और नसरुल्लागंज में भी पानी की सप्लाई होनी है, लेकिन प्रोजेक्ट धीमी गति से चल रहे है।

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