vinod upadhyay

vinod upadhyay

बुधवार, 25 मई 2011

भोपाल. । रेल प्रबंधन पर वेंडर (खाने-पीने की चीजों को बेचने वाले) भारी पड़ रहे हैं। चौंकिए नहीं, यह सच है और यदि फिर भी यकीन नहीं तो ग्वालियर स्टेशन स्थित आरआरआई (रूट रिले इंटर लॉकिंग) केबिन के पास करीब हर दिन दोहराए जा रहे इस वाकए को देखा जा सकता है। जहां रेल प्रबंधन की मर्जी के खिलाफ वेंडरों द्वारा ग्वालियर से गुजरने वाली प्रत्येक नॉन स्टॉपेज ट्रेनों को चेन पुलिंग कर रोका जा रहा है।
खास बात यह है कि ग्वालियर में नॉन स्टॉपेज ट्रेनों को चेन पुलिंग कर रोके जाने की जानकारी स्थानीय रेल प्रबंधन व आरपीएफ को भी है। बावजूद इसके सभी चुप्पी साधे हैं। रेलवे से जुड़े सूत्रों की मानें तो नॉन स्टॉपेज ट्रेनों को चेन पुलिंग कर रोकने की इन घटनाओं के पीछे वेंडरों और ट्रेन ड्राइवरों की मिलीभगत भी है, क्योंकि जिस तरीके से चेन पुलिंग के बाद ट्रेन अगले डेढ़-दो मिनट में फिर से रफ्तार पकड़ तेज होती है, वह आमतौर पर थोड़ा मुश्किल है। बता दें कि चेन पुलिंग के बाद ट्रेन को रफ्तार पकडऩे में कम से कम चार से सात मिनट का समय लगता है। इधर आरआरआई केबिन के आंकड़ों पर नजर डालें तो आंध्रप्रदेश संपर्क क्रांति एक्सप्रेस, यूपी संपर्क क्रांति व यशवंतपुर संपर्क क्रांति एक्सप्रेस जैसी कई ऐसी ट्रेनें हैं, जिन्हें ग्वालियर में (अप व डाउन दोनों ओर से) चेन पुलिंग कर रोका जाता है।
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कैमिकल से पकाए जा रहे फल

खाने से हो सकती है बीमारी
फल खाने से पहले सावधान!
विनय उपाध्याय
भोपाल. । सावधान अगर आप चिलचिलाती धूप में गर्मी की तपन से राहत पाने के लिए मौसमी फलों का सहारा लेने का मन बना रहे हैं तो पहले जांच कर लीजिए कहीं इन फलों को पकाने में कैल्शियम कार्बाइड का इस्तेमाल तो नहीं किया गया है और अगर किया गया है तो इस तरह के फलों को खाने व खरीदने से इंनकार कर दीजिए, क्योंकि डॉक्टरों का कहना है कि इस तरह के केमिकल युक्त फल या अन्य खाद्य सामग्री का सेवन करने से नपुंसकता, उल्टी, डायरिया जैसी गंभीर बीमारियां होने की संभावना अधिक पैदा हो जाती है।
भीषण गर्मी में जरा सी राहत अथवा जीभ के स्वाद के लिए चिंताजनक बीमारियों को आमंत्रित करना ठीक नहीं है। भीषण गर्मी की मार को देखते हुए तथा खाद्य विभाग की एतलाली का भरपूर फायदा उठाने के उद्देश्य से थोक व खेरिज फल विक्रेताओं ने कम लागत में अधिक मुनाफा कमाने के लिए केमिकल युक्त फल फल्हारी को बाजारों में बिक्री हेतु सप्लाई कर दिया जाता है। सूत्रों की मानें तो खाद्य अधिनियम में प्रतिबंध के बावजूद यहां खुलेआम केले, पपीता, सेवफल, संतरा, आम आदि को पकाने के लिए केमिकलों का जमकर उपयोग कर फलों को पकाया जा रहा है और इन केमिकल युक्त फलों को बाजार में आसानी से खपाया जा रहा है। इससे लोगों के स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ रहा है। वहीं यहां के नागरिकगण इस कलाकारी से अनभिज्ञ हैं। खतरों के इस खेल से अंजान लोग जमकर मौसमी फलों का जायका ले रहे हैं। यही कारण है कि कार्बाइड से पके फल बाजार में धड़ल्ले से बेचे जा रहे हैं। फलों को पकाने के लिए कैल्शियम कार्बाइड के टुकड़े फलों के बीच रखे जाते हैं, जिससे निकलने वाली एसिटिलीन गैस फलों को शीघ्र पका देती है, परंतु इससे इनके स्वाद और पौणरिकता कमी आ जाती है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि कैल्शियम कार्बाइड में पाए गए फलों के सेवन से पाचन क्रिया और तंत्रिकातंत्र पर बिपरीत प्रभाव पड़ता है। फलों को जल्दी पकाने और उन पर रंगत लाने में भी यह उपयोग किया जाता है। बहरहाल जनता को अपने स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए स्वयं को ऐसे फलों से दूर रहना चाहिए।

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