vinod upadhyay

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बुधवार, 25 मई 2011

स्पर्श में नहीं लग रहा मन

सर्वे के काम में नगर निगम के अधिकारियों की लापरवाही

विनय उपाध्याय
भोपाल. । नि:शक्तों के लिए शुरू की गई योजना स्पर्श अपने पहले ही चरण में दम तोड़ती नजर आ रही है। योजना का दूसरा चरण जून में पूरा होना है लेकिन नगर निगम के अधिकारी और कर्मचारियों की लापरवाही से सर्वे का काम ही अभी तक पूरा नहीं हो सका है। जबकि गिनती पूरी कर 30 मई को आंकड़े सौंपने हैं।
मध्यप्रदेश शासन द्वारा नि:शक्तों के लिए स्पर्श योजना शुरू की जा रही है। योजना के प्रथम चरण के तहत शहर में कितने नि:शक्त हैं इसके लिए घर-घर सर्वे किया जाना था। जिला प्रशासन ने सर्वे के इस काम की जिम्मेदारी नगर निगम के शासकीय योजना विभाग को सौंपी थी लेकिन एक माह बीतने के बाद भी नि:शक्तों की गिनती का काम पूरा नहीं हो पाया है।
हालात ये हैं कि योजना के दूसरे चरण की योजना तय करने के लिए 30 मई को बैठक होने जा रही है लेकिन आंकड़े अभी तक उपलब्ध नहीं हैं। सूत्रों का कहना है कि दरअसल निगम के शासकीय योजना विभाग ने यह जिम्मेदारी सभी संभागीय कार्यालयों को सौंपी थी जिसके अनुसार उन्हें अपने-अपने संभाग के नि:शक्तों का घर-घर जाकर सर्वे करना था। घर-घर सर्वे का काम पूरा हुआ या नहीं इस बात का तो भगवान ही मालिक है, लेकिन बैठक की तिथि जैसे-जैसे नजदीक आती जा रही है शासकीय योजना विभाग इस प्रयास में लगा है कि सभी अधिकारी सर्वे की जानकारी सौंप दें। उधर संभागीय अधिकारियों के कान में जूं तक नहीं रेंग रही है।
़हकीकत यह है कि बार-बार फोन करने के बाद भी सोमवार को शाम तक एक भी संभागीय अधिकारी ने सर्वे की जानकारी नहीं सौंपी थी। जानकारी देने में हर कोई आना-कानी कर रहा है। सूत्रों का कहना है कि दरअसल भीषण गर्मी के कारण नगर निगम के अधिकारी- कर्मचारी सर्वे का काम ही पूरा नहीं कर पाए इसलिए जानकारी देने में टाला-मटोली कर रहे हैं।
मौखिक आंकड़े दिए
अभी तक की जानकारी के अनुसार संभागीय अधिकारियों ने योजना प्रभारी को टेलीफोन के माध्यम से आंकड़े तो दिए हैं, लेकिन उन आंकड़ों को सही ठहराने वाले सर्वे फॉर्म किसी ने नहीं पहुंचाया है। योजना प्रभारी का कहना है कि मौखिक जानकारी को सही नहीं माना जा सकता। जब सभी को सर्वे फॉर्म दिया गया था तो वह उपलब्ध कराना चाहिए ताकि पुष्टि हो सके।
इस योजना के तहत शहर के अस्थि, दृष्टि या श्रवण बाधित नि:शक्तों को पहले चरण में चिन्हित किया जाना है। दूसरे चरण में इनके लिए मेलों का आयोजन किया जाएगा जिसमें उन्हें कृत्रिम अंगों के साथ ही अन्य उपकरण भी वितरित किए जाएंगे। इसके अलावा नि:शक्तों को शासन की ओर से हर माह सहायता राशि दी जाएगी।

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