vinod upadhyay

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शुक्रवार, 10 दिसंबर 2010

मप्र : घूस देकर पेट भर रहे 57 फीसदी

भोपाल. रिश्वत का घुन सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) को भी खोखला कर रहा है। आलम ये है कि प्रदेश के करीब 57 फीसदी गरीबों को राशन हासिल करने के लिए घूस देनी पड़ती है। सुप्रीम कोर्ट में पेश एक रिपोर्ट में हुए इस खुलासे ने राशन की कतारों का सच सबके सामने ला दिया है। गौरतलब है कि ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की गुरुवार को आई रिपोर्ट में भी कहा गया है कि देश में हर दूसरे आदमी को अपना काम निकलवाने के लिए रिश्वत देनी पड़ती है।

पीडीएस पर निशाना साधती हालिया रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त कमिश्नरों ने तैयार की है, जिसमें देश में खाद्य एवं अन्य कल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन की स्थिति का आकलन किया गया है। रिपोर्ट में प्रदेश की लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली में कई खामियां सामने आई हैं।

गांवों में किए गए इस सर्वे से पता चलता है कि राशन पाने के लिए लोगों से निर्धारित राशि से कहीं अधिक पैसा लिया जाता है। लोगों ने स्वीकार किया कि दुकानदारों ने उनसे जानबूझकर ज्यादा पैसे देने को कहा। सर्वे में लोगों ने ये भी बताया कि नया राशन कार्ड बनवाने या उसमें कुछ परिवर्तन करवाने के लिए उनसे 50 से ५क्क् रुपए तक की रिश्वत मांगी गई। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में पीयूसीएल (पीपल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीस)ने भोजन के अधिकार मामले में एक जनहित याचिका दायर की थी, जिस पर संज्ञान लेते हुए शीर्ष न्यायालय ने कमिश्नर नियुक्त किए थे।


राज्य-केंद्र के दावों में अंतर

केंद्र सरकार प्रदेश में बीपीएल परिवारों की संख्या केवल ४१.२५ लाख ही मानती है, जबकि राज्य शासन के अनुसार प्रदेश में ऐसे परिवारों की संख्या 67.35 लाख है। केंद्र से पीडीएस के तहत जो राशन आता है, वह 41.25 लाख परिवारों के हिसाब से आता है। इस तरह सीधे-सीधे 26.10 बीपीएल परिवार सब्सिडाइज्ड राशन से वंचित रह जाते हैं।

खाद्य मंत्री पारस जैन से तीन सवाल

सवाल 1 : करीब 10 फीसदी लोगों के पास अब भी राशन कार्ड नहीं हंै।

मंत्री : लोकसेवा प्रदाय गारंटी अधिनियम में हमने ३क् दिन में राशन कार्ड बनाने का प्रावधान किया है। इससे स्थिति सुधरेगी।

सवाल 2 : राशन और राशन कार्ड बनाने के लिए लोगों को घूस देनी पड़ती है।

मंत्री : इसको लेकर हम सख्ती बरत रहे हैं। फूड कूपन प्रणाली लागू होने के बाद इसमें सुधार होगा।

सवाल 3 : सुधार कब तक होगा?

मंत्री : पीडीएस में गड़बड़ियां वर्षो से चली आ रही हंै। इसमें सुधार के लिए समय तो लगेगा ही।



भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ता हमारा पैसा

योजना आयोग के मुताबिक मप्र उन राज्यों में शामिल है, जहां ५क् से ७५ फीसदी राशन भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाता है। पीडीएस के तहत वह अनाज होता है, जिस पर करोड़ों रुपए की सब्सिडी दी जाती है। वर्ष २क्क्८ की आर्थिक सर्वे की रिपोर्ट के अनुसार मप्र में पीडीएस की सब्सिडी पर १,क्५क् करोड़ रुपए खर्च किए गए। सब्सिडी का पैसा अंतत: आम लोगों और करदाताओं की जेब से ही जाता है।


सर्वे का कड़वा सच

> १७ फीसदी गांवों में राशन का अनाज ब्लैक मार्केट में बेच दिया गया।

> १क् फीसदी लोगों ने बताया उनके राशन कार्ड गांव के ही दबंगों के कब्जे में हैं।

> ७५ फीसदी परिवारों को निर्धारित मात्रा में राशन नहीं मिल रहा।

> प्रदेश के ५8 फीसदी इन गांवों में राशन की दुकानें नहीं हैं। गांवों के लोगों को राशन के लिए तीन किमी या उससे भी अधिक की दूरी तय करनी पड़ती है।

‘इस रिपोर्ट को लेकर राज्य शासन से भी हमारी बात हुई है। रिपोर्ट में जो केस हमने बताए, शासन ने उनका निपटारा करना शुरू कर दिया है, लेकिन यहां मुद्दा सिस्टम का है। सिस्टम को बदलना होगा, तभी नतीजे सामने आएंगे।’

- सचिन जैन, सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त कमिश्नरों के प्रदेश एडवाइजर (मप्र)

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